Chandra grahan :
आज 5 जून को चंद्र ग्रहण Chandra grahan लगने जा रहा है। चंद्रमा जो कि मन का कारक है तो कई माइनो में , सभी के मन को प्रभावित करेगा और कुछ तनाव की स्थितियां पैदा करेगा लेकिन यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि ये चंद्रग्रहण वृश्चिक राशि में लग रहा है। अतः जिन लोगों की भी जन्म राशि वृश्चिक है। उन्हें कुछ दिनों तक कुछ अजीब सा तनाव महसूस होगा।
5 जून 2020 को लगने वाला यह चंद्रग्रहण साल का दूसरा चंद्रग्रहण है। एक चंद्रग्रहण 10 जनवरी 2020 को लग चुका है। इस साल कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं जिसमें से यह दूसरा ग्रहण है और आगे आने वाली 21 जून को भी ग्रहण लगने वाला है। जोकि सूर्य ग्रहण होगा।
दोनों ही ग्रहण भारत समेत दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया में दिखाई देंगे।
चंद्र ग्रहण (Chandra grahan ) का समय :
5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण रात 11:15 से शुरू होगा जो 6 तारीख को 2:34 मिनट (सुबह) पर समाप्त होगा।
सूर्य ग्रहण का समय :
वही सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 को लग रहा है और उसका समय सुबह 9:15 से शुरू होकर दोपहर 3:03 तक रहेगा।
इस ग्रहण को लंबा ग्रहण कहा जा सकता है क्योंकि इसकी अवधि 5 घंटे से भी अधिक है।
नहीं लगेंगे इस बार सूतक :
इस चंद्र ग्रहण में सूतक नहीं लगेंगे क्योंकि यह चंद्रग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा।
क्या होता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण ?
उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी घूमते हुए तो आती है, लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते है।
चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में अंतर?
इससे पहले इसी साल 10 जनवरी को भी उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगा था और अब 5 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन लगने वाला ग्रहण भी ऐसा ही है। चंद्र ग्रहण तब माना जाता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और धरती की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है। इससे चांद का बिंब काला पड़ जाता है। इसे खुली आंखों से देखा जा सकता है।
किंतु इस बार उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण चंद्र सामान्यता वैसा ही दिखेगा जैसा दिखता है लेकिन उसका रंग थोड़ा मटमैला दिखेगा।
ग्रहण के दौरान कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना आवश्यक है :
1. ग्रहण काल के समय में खाना-पीना निषेध है अतः खाना पहले ही बना कर खा ले।
2. ग्रहण काल के समय में गर्भवती स्त्री का विशेष ध्यान रखा जाता है उसे बाहर निकलने की मनाही होती है।
अगर वह गेरू को पानी में घिसकर उसका लेप, पेट पर लगाए तो कहा जाता है कि ग्रहण की हानिकारक किरणों का प्रभाव उसके शिशु पर नहीं पड़ता।
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3. ग्रहण काल में विधिवत पूजा नहीं की जाती। मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं तथा इस समय में पूजा आरती ना करें किंतु किसी मंत्र का जाप अपने मन में या बोलकर आप कर सकते हैं।
4. ग्रहण के दौरान, आपके घर में पकी हुई कोई खाद्य सामग्री बच गई है तो उसमें तुलसी का पत्ता डालकर रखना चाहिए। इससे ग्रहण की किरणों का दुष्प्रभाव उस भोजन पर नहीं पड़ता।
5. घर के बाद पूरे घर में साफ सफाई व गंगा जल छिड़कना चाहिए। इससे ग्रहण के दौरान पैदा हुई नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।