Parenting Tips Hindi
तकरीबन सभी घरों में बच्चों और बड़ों में कभी छोटी तो कभी बड़ी बातों को लेकर घमासान चलता ही रहता है। जो बचपन का बचपना कहकर हम नज़रअंदाज़ कर जरूर देते हैं पर बड़े होने पर वही छोटी चीजें हमारे लिए एक चुनौती बन जाती है। दिखने में यह काम मामूली जरूर लगते हैं लेकिन घर को घर बनाए रखने वाले जरूरी काम होते हैं। (Parenting Tips Hindi)
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यकीन मानिए घर के साथ-साथ यह व्यक्ति के व्यक्तित्व पर भी असर डालते हैं। जिम्मेदारी से परे इन्सान अपने अनजाने ही नीरा निठल्ला और आलसी हो जाता है। बाद में उसकी यह गतिविधियाँ उसके जीवन में क्लेश का कारण बन जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि छोटी-छोटी पर जरूरी आदतें बचपन से डाली जायें तो जीवन सुखद और आसान हो जाती है।
बच्चे कच्चे घड़ों के सामान होते हैं इसलिए आदतें जल्दी व अच्छी तरह ग्रहण कर लेते हैं। बड़े हो जाने पर आदत डालने में काफी संघर्ष करना पड़ता है। आइये जानते हैं यह कैसे सम्भव होगा।(Parenting Tips Hindi)

किताबें, कपड़े और सामान सहेजकर रखना, पानी का बोतल भरना, कुड़ा फेंककर कुडेदान में नया पॉलीबैग लगाना, सुबह बिस्तर समेटना और रात को बिस्तर लगाना, जूते पोलिश करना, तोलिए बिस्तर पर न छोड़ना, पौधों में पानी देना, बिजली की बत्ती या फैन को ऑन छोड़ देना, रसोई में थोड़ी सी मदद, किराने की दुकान से कुछ सामान लाना, खाना खाकर अपना प्लेट स्वयं धोना आदि न जाने ऐसे कितने ही छोटे और बड़े काम घर के अंदर घमासान का कारण बन जाते हैं।(Parenting Tips in Hindi)
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हम बड़ें अकसर सोचते हैं कि बच्चों का काम तो पढ़ाई करना और खेलना है। जिम्मेदारी (Responsibility) लेने के लिए तो उम्र पड़ी है। बच्चे अभी छोटे हैं। परन्तु माँ-बाप के लिए बच्चे हमेशा छोटे ही होते हैं।
छोटे हैं-छोटे हैं कहते-कहते बच्चे कब बड़े हो जाते हैं पता ही नहीं चलता, है ना। बच्चों को भी लगने लगता है अभी तो हम छोटे हैं और कामों से जी चुराने लगते हैं। यहाँ तक कि जरूरत के वक्त भी मदद करने से कतराते हैं। बच्चे पढ़ाई या खेल के अलावा भी अपना वक्त काफी बर्बाद करते हैं। कभी टीवी पर तो कभी मोबाइल में।(Parenting Tips Hindi)
दरअसल यह बात हम सभी को समझनी होगी कि घर सिर्फ बड़ों का नहीं है बच्चों का भी है जो आगे चलकर बड़े होंगे। फेमिली एक टीम के समान होती है। जैसे एक टीम में अच्छा प्रदर्शन करने की हर खिलाड़ी पर जिम्मेदारी होती है वैसे ही परिवार में भी छोटे-बड़े हर सदस्य को छोटी-बड़ी जिम्मेदारी यानी काम बाँट लेने होंगे तभी एक परिवार शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल हो पायेगा।
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बच्चों को उनकी उमर के हिसाब से छोटे-छोटे कामों की जिम्मेदारी देकर घर में उनकी हिस्सेदारी को सुनिश्चित करना चाहिए ताकि उन्हें भी अपनी जिम्मेदारियों (Responsibility) का अहसास बचपन से ही होने लगे। उमर के साथ-साथ जिम्मेदारी बढ़ाते चलना चाहिए।(Parenting Tips Hindi)
ऐसा करने से न केवल वे जिम्मेदार बनेंगे बल्कि उमर के साथ-साथ Active भी। उन्हें यह समझना होगा वे घर के मेहमान नहीं सदस्य हैं। यह बात लगती हो छोटी है लेकिन गहरा अर्थ रखती है जिसका पता हमे बच्चों के बढ़ते उम्र के साथ पता चलता है।
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