Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi
महामृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi ) को संजीवनी मंत्र, त्रयंबकम् मंत्र भी कहा जाता है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव से संबंधित है जो कि आदिदेव है जिनका ना आरंभ है ना अंत! ऐसे त्रिकालदर्शी एवं त्रिनेत्र स्वामी, भगवान शिव को यह महामृत्युंजय मंत्र समर्पित है.
माना जाता है इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह अकाल मृत्यु को भी टाल देता है..इस मंत्र से रोग तो नष्ट होते ही हैं साथ ही अनेक कष्टों का निवारण भी अपने आप ही हो जाता है। अब इतने शक्तिशाली मंत्र का महत्वपूर्ण होना स्वाभाविक ही है शायद यही कारण है कि महामृत्युंजय मंत्र को महामंत्र की संज्ञा दी गई है..
Full Maha Mrityunjaya Mantra Lyrics in Hindi (om tryambakam yajamahe lyrics in hindi)
“ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्, ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ॥”
Full Maha Mrityunjaya Mantra Lyrics in English
"Om Haum Jum Sah Om Bhurbhuvah Swah Om Om Tryambakam Yajamahe, Sugandhim Pushtivardhanam Urvarukamiva Bandhanan, Mrityor Mukshiya Maamritat Om Swah Bhuvah Bhuh Om Sah Jum Haum Om"
जाप कीजिए पूरे महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार (Full Mahamriyunjay mantra 108 times)
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ हिंदी में (Mahamrityunjay Mantra Meaning In Hindi):
यजामहे- हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय। सुगंधिम- मीठी महक वाला, सुगंधित। पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णता वर्धनम- वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है। उर्वारुक- ककड़ी। इवत्र- जैसे, इस तरह। बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है। मृत्यु- मृत्यु से मुक्षिया- हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें। अमृतात- अमरता, मोक्ष
महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी में क्या अर्थ है? (Maha Mrityunjaya Mantra ka Arth )
महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी में संपूर्ण अर्थ यहां सुनें :
महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति ( Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi Katha ):
(maha mrityunjaya mantra) कथा– 1 : पौराणिक कथाओं के अनुसार मृकण्ड ऋषि को शिव की बहुत पूजा अर्चना के बाद पुत्र प्राप्ति हुई थी। जिसका नाम मार्कंडेय रखा गया।
उनका यह पुत्र बहुत ही गुणी एवं तेजस्वी था लेकिन अल्पायु था। ज्योतिषियों ने उसकी आयु केवल 12 वर्ष तक बताई हुई थी। जिस कारण मृकण्ड ऋषि एवं उनकी पत्नी बहुत ही चिंतामग्न कहते थे लेकिन फिर भी मृकण्ड ऋषि को अपने भोलेनाथ पर पूर्ण विश्वास था।
धीरे-धीरे मार्कंडेय बड़े होने लगे। उनके पिता मृकण्ड ने उन्हें शिव मंत्र की दीक्षा दे दी और दुखी होकर, उन्हें उनके अल्पायु होने के बारे में भी बता दिया। तभी बालक मार्कंडेय ने यह है मन में निर्णय कर लिया कि अपने माता-पिता की खुशी के लिए वे भगवान शिव से अपने दीर्घायु होने का वरदान प्राप्त करेंगे।
Read more :Kailash parvat : जिस पर कोई नहीं चढ़ पाया आज तक! जानिए क्यों
इसके बाद मार्कंडेय ने एक शिव मंत्र की रचना की जिसे हम आज महामृत्युंजय मंत्र के नाम से जानते हैं :
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
मृत्यु का समय निकट आने से कुछ समय पूर्व ही मार्कंडेय इस मंत्र का जप करने लगे।
इधर बालक मार्कंडेय की आयु पूर्ण होने पर जब यमदूत उनके प्राण लेने पहुंचे तो मार्कंडेय, शिवलिंग के निकट बैठकर, महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे थे अतः यमदूत उनको छू भी ना सके और यमराज के पास आकर उन्होंने कहा कि हम मार्कंडेय के पास पहुंच नहीं पा रहे हैं! इस पर यमराज क्रोधित हो गए और बोले ठीक है उसको मैं स्वयं लेकर आऊंगा।
Read more : Maha Shivaratri 2022: शिवरात्रि के दिन इस तरह पाएं, अपनी परेशानियों से मुक्ति
जब यमराज को लेने पहुंचे तो उनका भयावह रूप एवं रक्त नेत्र देखकर, बालक मार्कंडेय जोर-जोर से महामृत्युंजय का पाठ करते हुए शिवलिंग से लिपट गए।(Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi)
यमराज ने उन्हें शिवलिंग से अलग करके ले जाने की कोशिश की। तभी शिवलिंग से महाकाल शिव शंकर प्रकट हो गए और उन्होंने यमराज से क्रोधित होकर कहा कि मेरी भक्ति में लीन भक्तों को तुम परेशान करने का साहस कैसे कर सकते हो!
भगवान शिव के आगे यमराज नतमस्तक हो गए और भय से कांपने लगे। उन्होंने कहा प्रभु मैं तो अपने कर्तव्य का पालन ही कर रहा था। अतः मुझ पर दया करें।
यमराज की दया याचना से भगवान शिव शांत हो गए और उनसे कहा कि अपने इस भक्त की भक्ति से मैं प्रसन्न हो गया हूं और इसे दीर्घायु होने का वरदान देता हूं। इसलिए अब तुम इसके प्राण नहीं ले जा सकते।
इसके बाद यमराज भगवान शिव को प्रणाम करके यह कहते हुए चले गए कि आपके भक्त मारकंडेय द्वारा रचित इस महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने वाले किसी भी भक्त को मैं त्रास नहीं दूंगा।
इस तरह महामृत्युंजय मंत्र से आई हुई अकाल मृत्यु को भी हराया जा सकता है।
(Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi Katha)
कथा– 2
महामृत्युंजय मंत्र की दूसरी कथा का संबंध चंद्रदेव से भी जुड़ता है। कहा जाता है कि दक्ष के श्राप के कारण, क्षय रोग से ग्रसित चंद्रदेव ने, उस शाप से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की इसी मंत्र से साधना की थी जिससे उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिली थी।
महामृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra Benefits):
मृत्युंजय मंत्र पढ़ने से क्या होता है?
किसी भी भय से मुक्ति के लिए , रोग अथवा कष्ट के निवारण के लिए तथा अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र maha mrityunjay jaap का जाप करना चाहिए। यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि मंत्र संख्या समान अथवा बढ़ते क्रम में होनी चाहिए।(Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi)
read more : Lord shiv: ये 14 प्रकार के शिवलिंग, करेंगे आपकी हर मनोकामना पूर्ण
महामृत्युंजय मंत्र केवल मृत्यु से ही आप को नहीं बचाता वरन् जीवन की किसी भी परेशानी में इस मंत्र के जाप से आप मुक्ति पा सकते हैं। लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि मन में श्रद्धा और उच्चारण शुद्ध हो। शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय, इस मंत्र का जाप बहुत लाभकारी रहता है।
इसके अतिरिक्त अगर आपके ऊपर गोचर में अथवा कुंडली में किसी मारक ग्रह की दशा चल रही है तब भी यह मंत्र आपकी उस ग्रह के दुष्प्रभाव से रक्षा करता है (Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi).
महामृत्युंजय मंत्र कितनी बार जपना चाहिए? (Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi)
कोशिश करें प्रतिदिन 108 बार जाप करें यानी एक माला का जाप प्रतिदिन कर सकते हैं, यहां आपको संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुद्ध उच्चारण में उपलब्ध कराया जा रहा है. संपूर्ण (पूरा) महामृत्युंजय मंत्र, शुद्ध उच्चारण में सुनने के लिए यहां क्लिक करें – मंत्र सुनिए
क्या स्त्रियां महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकती हैं? (Can ladies do Mahamrityunjaya Mantra? )
जी हां बिल्कुल !! क्योंकि कहीं भी ऐसा वर्णित नहीं है कि स्त्रियां महामृत्युंजय मंत्र का जाप नहीं कर सकती. सच्चे मन से श्रद्धा अनुसार स्त्रियां भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकती हैं.
Pls Follow Us :