कहानी : कुछ पल की कशिश (Kuchh Pal Ki Kashish)- विभा मित्तल

Kuchh Pal Ki Kashish

Kuchh Pal Ki Kashish

हाय! , इस छोटे से मैसेज ने अदिति के दिल में हलचल (Kuchh Pal Ki Kashish) सी मचा कर रख दी थी |सुबह के दस बजे थे, पति ऑफिस (office) के लिए निकल चुके थे |बच्चे तो सात बजे ही स्कूल के लिए निकल जाते थे |

सुबह पांच बजे से उठकर पति और बच्चों का लंच पैक करना, किसी को दूध ब्रैड, किसी को चाय -पोहा, किसी को परांठा तैयार करके देना, उफ्फ्फ…. साढे़ नौ कब बज जाते पता ही नहीं चलता |

इसके बाद शरीर, जो थककर चूर हो चुका होता था, को कुछ पलों के आराम की सख्त जरूरत महसूस होती थी| सो अक्सर अदिति अपना चाय नाश्ता लेकर आधा धंटे के लिए फोन के साथ सोफे पर पसर जाया करती थी |

आज फोन खोलते ही “हाय” ! के मैसेज के साथ एक अनजान चेहरा और एक अनजान नंबर (Kuchh Pal Ki Kashish) दोनों मौजूद थे व्हाट्सएप पर | अदिति थोड़ा घबरा गई | वो उस शख्स के चेहरे को पहचानने की कोशिश करने लगी |अचानक उसे महसूस हुआ कि ये चेहरा तो फेसबुक पर उसकी पोस्ट पर हमेशा पॉजिटिव रियेक्शन देने वाले जितेन वर्मा से मिलता-जुलता है, कुछ क्लीयर समझ नहीं आ रहा था |

सो तुरंत फेसबुक चैक करने बैठ गई, फिर भी कहीं डाउट सा था क्योंकि फेसबुक और व्हाट्सएप दौनों जगह उस शख़्स के हेयर स्टाइल और ड्रेस में काफी भिन्नता थी | न जाने किस भावना से वशीभूत होकर कंफर्म करने के लिए कांपते हाथों ने टाइप करना शुरू कर दिया _”आप कौन सर “|

“आय एम जितेन वर्मा “,
“आय एम इंजीनियर बाय प्रौफेशन”,
“आय एम फ्रौम बौम्बे “,
“वी आर फ्रैंड्स अॉन एफ . बी”, ||
उसने एक सैकिंड के अंदर अपना पूरा बायो डाटा भेज दिया था |

अब तो कंफर्म था, वही है |मन में एक रोमांच सा (Kuchh Pal Ki Kashish) हो उठा था अदिति के |उम्र के लगभग चार दशक पार कर चुकी खूबसूरत स्त्री, जो शराबी पति की उपेक्षा की शिकार थी, के मन की ये एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी | पर दूसरी तरफ वो अपनी भीरूता को भी काबू नहीं कर पा रही थी |

सो ऊपर से नॉर्मल बनने का निरर्थक प्रयास करती रही | उलझन की स्थिति थी |जबाब दूं या न दूं समझ नहीं आ रहा था | मन बार-बार ये सोचकर आंदोलित हो रहा था कि उम्र के इस पडाव पर भी कोई उसे पसंद कर सकता है?

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गाहे बगाहे कहे जाने वाले पति के ये शब्द -” कैसी बेडौल हथिनी सी हो गई हो, फलां भाभी को देखो अभी भी कितनी फिट हैं, मुझे तो तुम्हें अपने साथ पार्टीयों में भी ले जाने में शर्म आती है, कामवाली बाई भी तुमसे अच्छी लगती है “दिमाग में हथोड़े से बजा रहे थे |आत्मा चीत्कार उठती थी |

कभी कभी तो मन करता (Kuchh Pal Ki Kashish) कि जोर जोर से चीखे वो और आइना दिखाये पति को कि मैं तुम्हारे काबिल नहीं या तुम मेरे |पर शांत रहती क्योंकि घर का माहौल बच्चों के लिए जहरीला नहीं बनाना चाहती थी |जिस आदमी की नज़र हमेशा ही ऊपरी सौन्दर्य की पिपासू रही हो वो कहाँ आंतरिक सुन्दरता की कद्र करता|

हताशा की इस स्थिति में अदिति के कहीं अंदर कोने में कोमल भावनाओं ने सर उठाना शुरू कर दिया था |
दिल के हाथों मजबूर, उसके कांपते हाथों ने टाइप करना शुरू किया _” बट वी आर नॉट फ्रैंड्स “|

” ओ. के. मैम, लैट्स टेक टाइम टू बी फ्रैंड्स.”
उधर से बिना एक भी सैकेंड गंवाये रिप्लाई आया |
“लेकिन मित्र होने के लिए एक दूसरे के प्रति निस्वार्थ प्रेम और दिल में सच्चाई आवश्यक है ” अदिति बेमतलब ही आगे बढी़ जा रही थी |
“एकदम सही कहा आपने अदिति जी, मेरी तरफ से कोशिश रहेगी कि आपको कोई तकलीफ़ न हो |आशा करता हूँ कि हम दोनों व्हाट्सएप पर आगे भी कन्टीन्यू कर सकेंगे |”

बिना क्षण गंवाये आने वाले उसके मैसेज अदिति को एक तरफ रोमांचित (Kuchh Pal Ki Kashish)भी कर रहे थे तो दूसरी ओर मन का कोई कोना भयभीत भी था | उसे खुद अपने आप पर आश्चर्य हो रहा था कि कैसी डरपोक है वह,? कुछेक नॉर्मल से मैसेज ने उसे कितना डरा दिया था |

क्या उसका हक़ नहीं कि वो भी कहीं से प्राप्त होने वाली खुशी से खुश हो सके ? जबकि उसके पति के फोन में न जाने कितनी औरतों के नंबर फीड थे |अब वे व्यर्थ ही तो होंगे नहीं?? तो फिर उसे ही क्यों सती सावित्री बनने का भूत सवार था? इन सारे प्रश्नों का उत्तर तलाशते -तलाशते मन कुंद (Kuchh Pal Ki Kashish) हो चला था |

उसने देखा फोन पर वो शख्स अॉनलाइन था | मानो अदिति के उत्तर के लिए (Kuchh Pal Ki Kashish) प्रतिक्षा रत था|अदिति ने झल्लाकर टाइप किया -“क्या आप हर समय फोन पर ही चिपके बैठे रहते हैं सर “?

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फिर से बिना क्षण गंवाये उसका उत्तर आया -” आप सर मत कहा करिये अदिति जी ,अच्छा नहीं लगता है | क्या करूँ अॉफिस के काम की वजह से पूरा दिन अॉनलाइन रहना पड़ता है “| उसकी बातों से अदिति का मन मानो आसमान में उडा़न भरने लगा था, सालों से सुप्त पडी़ भावनाओं के अंकुर (Kuchh Pal Ki Kashish) फूटने लगे थे |

फिर भी जितेन की इस बात का उसने कोई उत्तर नहीं दिया |कहीं कुछ तो गलत है ,ये आवाज़ आ रही थी मन के किसी कोने से |क्योंकि वो बहुत ही जल्द बे तकल्लुफ हुआ जा रहा था |

सरल स्वभाव की अदिति नहीं चाहती थी किसी पचड़े में पड़ना |वैसे ही बदकिस्मती से अक्सर रोज ही उसके लिए एक न एक नई क्लेश तैयार रहती थी| अगर शक्की स्वभाव के पति ने पूछ लिया इस बाबत तो वह क्या जबाब देगी? सो यही सोचकर उसने रात के दस बजे तक फोन को स्विच ऑफ रखा |

पर उठते बैठते जितेन का चेहरा अदिति की आंखों के आगे घूम रहा था | बेख्याली में न चाहते हुए भी जतिन की बातें उसके होठों पर मुस्कान (Kuchh Pal Ki Kashish) लाये दे रहीं थीं |चलते -फिरते सामने लगे आइने में खुद को निहारते हुए खुद से ही कहती “-इतनी बूढ़ी और बदसूरत भी नहीं हो गईं हूँ मैं कि प्यार के काबिल नहीं “|

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रात तक बीच -बीच में फोन को कुछेक सैकिंड के लिए अॉन (ON) करती फिर झट से अॉफ कर देती |मन में कहीं बैठा चोर देखना चाह रहा था, उसके किये मैसेज (Kuchh Pal Ki Kashish) |हांलाकि नॉर्मल सी बातें थीं पर एक अनजान व्यक्ति का अदिति में कंसर्न दिखाना उसे अच्छा लग रहा था | जो मैसेज न आने पर अपने किये पर झल्ला भी रही थी कि क्यों अपनी भीरुता के कारण ,आने वाली रोशनी की एक किरण को भी उसने अपने ही हाथों बुझा डाला था |

अचानक रात को साढ़े दस बजे-, “गुड़ नाईट “,
इस छोटे से मैसेज ने उसे गुदगुदा दिया |
” गुड़ नाईट “,

अदिति ने भी संक्षिप्त उत्तर दिया और होठों पर तृप्त मुस्कान (Kuchh Pal Ki Kashish) लिए रजाई के अंदर फिसल सी गई वो | अगली सुबह काम कुछ ज्यादा था |कपडों का ढेर लगा था धोने को सो साढ़े बारह बजे गये थे काम निबटाते  निबटाते | फ्री होकर फोन उठाया तो जितेन वर्मा का गुड़ मॉर्निग का मैसेज पडा़ था |

जबाब में ‘गुड़ मॉर्निग ‘का मैसेज डालते हुए अदिति ने टाइप किया -” वैसे तो अब आफ्टर नून हो गई है जितेन जी,” न जाने किस भावना के वशीभूत होकर ‘सर ‘की जगह उसने उस व्यक्ति को नाम से संबोधित किया था| क्षणांश में प्रतिउत्तर अदिति के सामने था-” कोई बात नहीं, हम मॉर्निग ही मान लेते हैं जनाब “|

अदिति उसमें छिपी शरारत (Kuchh Pal Ki Kashish) को महसूस कर कांप सी गई थी |सिर्फ दो दिन के कुछेक मैसेज में ही इतनी बे तकल्लुफी़!!! उसकी समझ में नहीं आ रहा था क्या सही है क्या गलत?
तुरंत उस शख्स को अॉफ लाइन किया और अपनी एक अंतरंग मित्र को फोन मिलाने बैठ गई |

उसके फोन उठाते ही आनन -फानन में अक्षरशः जो जो बातें (Kuchh Pal Ki Kashish) हुईं थीं अदिति और जितेन के बीच , सब कुछ कह डाला |
शिप्रा, अदिति के बचपन की मित्र, एक प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रिसिंपल के पद पर कार्य रत थी |

वो बेहद सुलझे हुए विचारों की महिला थी |सबसे बड़ी बात वो बचपन की मित्र होने के नाते अदिति को बहुत अच्छे से समझती थी |पूरी बात इत्मीनान के साथ सुनने के पश्चात शिप्रा बोली -“अदिति तुरंत ब्लॉक कर दे उसको, वो एक बेहद शातिर इंसान है |बिना तेरी मर्जी का सम्मान किए उसने फेसबुक से तेरा नंबर भी निकाल लिया और व्हाट्सएप चैटिंग भी चालू कर दी?

ऐसे बहुत से भेडिये घूम रहे हैं फेसबुक पर ,जो तेरे जैसी उपेक्षित स्त्रियों की मन:स्थिति (Kuchh Pal Ki Kashish) से भली भाँति वाकिफ़ होते हैं |और दोस्ती का झांसा देकर कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं | ”
अदिति के दिमाग में सन्नाटा छा गया था |उसने जल्दी से व्हाट्सएप पर जाकर उस शख्स को ब्लॉक कर दिया और चैन की सांस ली |वो एक
ग़लत शख्स के चंगुल से समय रहते बच जो गई थी ||

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– विभा मित्तल

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